संदीप उपाध्याय
शिमला. मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की व्यवस्था परिवर्तन का दिशा अब गांवों की ओर बढ़ रही है। ‘सरकार गांव के द्वार’ कार्यक्रम को मुख्यमंत्री गंभीरता के साथ लागू कर रहे हैं। अब गांवों में लोगों को धाम नहीं खिलाई जा रही है, बल्कि काम की बात हो रही है। मुख्यमंत्री स्वंय सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम के तहत गांवों में जा रहे हैं, जनता की समस्याएं गंभीरता के साथ सुन रहे हैं और उनका समाधान भी कर रहे हैं। जनता कार्यक्रम में धाम खाने नहीं आ रही है, बल्कि मुख्यमंत्री सुक्खू पर विश्वास जताकर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आ रही है। जिससे साबित होता है कि मुख्यमंत्री सुक्खू के व्यवस्था परिवर्तन की नीति पर जनता विश्वास कर रही है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गांवों की समस्याओं को समझने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत करने के लिए गांवो का विकास करने के लिए सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम की शुरुआत की है। जिसमें मुख्यमंत्री सहित सरकार के सभी मंत्री, कांग्रेस पार्टी के विधायक और अधिकारी वर्ग गांव में जनता के बीच जा रहे हैं। जनता की समस्याओं को सुन भी रहे हैं और जनता के कल्याण के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं की जानकारी भी जनता को दे रहे हैं। जिससे प्रदेश के गांव-गांव के लोग सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें और सरकारी योजनाओं का लाभ सभी को मिले। सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री सुक्खू ने स्वयं कमान संभाली है। जिसके तहत मुख्यमंत्री ने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की देहरा, बड़सर, धर्मपुर, ऊना जिले की गगरेट और चिंतपूर्णी क्षेत्र के गांव का दौरा किया। वहां पर हजारों लोगों की समस्याएं सुनी और समाधान करने का भरोसा दिलाया। मुख्यमंत्री कहते हैं कि अब फाइलें दफ्तरों में नहीं घूमेंगी, सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से ही समस्याओं का समाधान होगा। सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम के दौरान जनता के द्वारा दिए गए हर आवेदन और शिकायत की फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय शिमला आती है और यहां से समाधान करने की प्रक्रिया होती है। इसी तरह सरकार के सभी मंत्री गांवों में जा रहे हैं और जनता की समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम की शुरुआत बहुत ही बेहतर ढंग से हुई है। जिससे लगता है कि गांव की लोगों को इसका फायदा होगा और मुख्यमंत्री सुक्खू की आम आदमी के कल्याण करने की सोच कामयाब होगी।
पूर्व भाजपा सरकार के समय जनता की समस्याओं के समाधान के लिए जनमंच का आयोजन किया जाता था, जिसमें जनता को खाने के लिए धाम का प्रबंध सरकारी खर्च से होता था। तब तत्कालीन सरकार पर आरोप लगते रहे कि जनमंच में समस्याओं का समाधान नहीं होता बल्कि जनता धाम खाने के लिए आ रही है। अब सुक्खू सरकार के समय व्यवस्था परिवर्तन के तहत धाम की नहीं काम की बात हो रही है।