
औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में भी स्क्रैप माफिया को संरक्षण देने को लेकर मंत्री और सीपीएस के बीच चला लंबा विवाद
संदीप उपाध्याय
शिमला. आपदा के समय खनन माफिया को संरक्षण देने के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार के मंत्रियों के बीच सीधी जंग शुरु हो गई है। कुल्लू में बाढ़ से आई आपदा को लेकर लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सीधे तौर पर आपदा से हुए नुकसान के लिए अवैध खनन को जिम्मेदार ठहरा दिया। मंत्री के इस आरोप से सरकार के उद्योग और खनन मंत्री हर्षवर्धन चौहान कटघरे में खड़े नजर आए। खनन माफिया को संरक्षण देने का आरोप सीधे तौर पर मंत्री पर ही सवाल खड़ करता है। कटघरे में खड़े उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने भी बिना देरी किए जवाब दिया और मंत्री विक्रमादित्य के खनन वाले बयान को बचकाना करार दे दिया। विक्रमादित्य सिंह ने फिर मीडिया के सामने स्पष्ट किया कि मैं अपने बयान पर कायम हूं और अवैध खनन के कारण ही अधिक नुकसान हुआ है। इसी बीच मंत्री चंद्रकुमार ने भी अवैध खनन पर सवाल उठाए तो सीपीएस सुंदर ठाकुर ने मंत्री विक्रमादित्य के बयान का गलत साबित करते हुए कह दिया कि अवैध खनन के कारण नुकसान नहीं हुआ है। पूर्व भाजपा सरकार के समय कांग्रेस ने अवैध खनन और माफिया राज को लेकर आरोप लगाते रहे और अब सुक्खू सरकार ही अवैध खनन और माफिया को संरक्षण देने के आरोपों से घिरती नजर आ रही है।
मंत्री विक्रमादित्य सिंह का कहना है कि नदियों किनारे हुए अवैध खनन के कारण ही पानी का बहाव बदला और भारी नुकसान हुआ। मंत्री ने सीधे सवाल उठाया कि अवैध खनन के लिए माफिया को कौन संरक्षण दे रहा है, इसकी मांग मुख्यमंत्री के सामने भी उठाएंगे और विधानसभा में भी अवैध खनन का मामला उठाएंगे। विक्रमादित्य के आरोपों पर उद्योग मंत्री ने जवाब दिया और कहा कि प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसान हुआ है। अवैध खनन के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ है। विक्रमादित्य सिंह का अवैध खनन से नुकसान का बयान पूरी तरह गलत है और बचकाना है। उद्योग मंत्री के इस बयान से विवाद बढ़ गया। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान इससे पहले भी विवादों में रहे हैं। शिमला में हुए टैक्सी विवाद में मंत्री अनिरुद्ध सिंह और हर्षवर्धन चौहान के बीच भी जुबानी जंग हुई थी। जिस पर सरकार के मंत्रियों पर ही क्षेत्रीय भेदभाव के आरोप लगे थे। वहीं औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन को लेकर भी उद्योग मंत्री और सीपीएस रामकुमार के बीच विवाद के खबरे सुर्खियों में रही हैं। बीबीएन में खनन माफिया के साथ-साथ स्क्रैप माफिया भी हावी है। जिससे स्क्रैप माफिया को संरक्षण देने के मुद्दे पर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और सीपीएस राम कुमार के बीच विवाद की खबरे मीडिया में छाई रहीं। बीबीएन में स्क्रैप माफिया को लेकर उद्योग मंत्री और सीपीएस का विवाद मुख्यमंत्री के सामने भी पहुंचा। इस तरह सुक्खू सरकार के 6 महीने में ही मंत्रियों के बीच उभरते विवादों में सरकार पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।
सरकार के मंत्रियों के बीच छिड़े अवैध खनन और खनन माफिया को संरक्षण देने के मुद्दे पर अब भाजपा नेता भी सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। पूर्व उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर ने भी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस राज में खनन माफिया को संरक्षण मिल रहा है और पूरे प्रदेश में खनन माफिया हावी है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी अवैध खनन को लेकर कांग्रेस सरकार पर सवाल उठा चुके हैं। प्रदेश में अवैध खनन का मुद्दा हमेशा ही सियासत में गरम रहा है। सरकार पर खनन माफिया को संरक्षण देने का मामला लगातार उठता रहा है। उद्योग मंत्री के जिले में अवैध खनन को लेकर आरोप लगते रहे हैं लेकिन कोई भी सरकार अवैध खनन को रोकने में कामयाब नहीं हो पाती। इसका सीधा सा कारण है कि हर क्षेत्र में सत्ता धारी नेताओं के संरक्षण में ही अवैध खनन होता रहा है। इस तरह अब सुक्खू सरकार खनन माफिया को लेकर सवालों से घिरी हुई है।