प्रिंसिपल सेकट्री ओंकार शर्मा के साढ़े तीन साल में 9 तबादले, किसी विभाग में एक दिन तो किसी में एक महीने ही किया काम
सब हेड – आयुर्वेद डॉक्टरों की डेपुटेशन रद्द कर ट्राइबल और दूर दराज क्षेत्रों में जनता का ईलाज करने के लिए भेजने की सजा तो नहीं
शिमला. आखिर ऐसा क्या कारण हैं कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार में आईएएस अधिकारी ओंकार शर्मा का तबादले पर तबादला हो रहा है। साढ़े तीन साल में ओंकार शर्मा का लगातार तबादला हो रहा है, अभी तक नौ विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई और डेढ़ महीने में यह चौथा तबादला है। ओंकार शर्मा को सौंप गए विभागों में किसी में एक दिन काम करने का मौका दिया, तो किसी में एक महीने, जब एक दिन या एक महीनें में ही विभाग बदलना है, तो फिर क्यों दिया गया, यह समझ से परे है। अभी एक महीने पहले की ओंकार शर्मा को आयुर्वेद विभाग का जिम्मा दिया था जो फिर बदल दिया गया। सरकार के चीफ सेकेट्री की ओर से जारी आदेश का अपना फिक्स फारमेट हैं जिसमें सिविस सर्विस बोर्ड की सिफारिश के अनुसार जनहित में तबादला किया गया। सरकार के द्वारा निर्धारित यह पब्लिक इंट्रेस्ट(जनहित) कैसे एक दिन या एक महीने में बदल जाता है, इस पर सवाल खड़े होते हैं। सरकार का यह पब्लिक इंट्रेस्ट किन मापदंडों पर आधारित होता है, कैसे तय होता है, इसे भी सार्वजनिक करना चाहिए। जिससे पता चले कि आखिर तबादलों की असली वजह क्या है। इस दौरान ओंकार शर्मा पर भ्रष्टाचार सहित अन्य किसी प्रकार की अनिमितता के आरोप नहीं लगे हैं, तो फिर क्या है। यह सवाल खड़े हैं।
सरकार के सीनियर आईएएस और प्रिंसिपल सेकेट्री के पद पर कार्यरत ओंकार शर्मा को आयुर्वेद विभाग का जिम्मा एक माह पहले ही दिया गया था। आयुर्वेद विभाग और सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच ओंकार शर्मा का तबादला क्यों हुआ, इस पर चर्चा गरम है। चर्चा में यह सामने आ रहा है कि आयुर्वेद विभाग का जिम्मा संभालने के बाद अफसर ने एक तरह से विभाग में सर्जिकल स्ट्राइक शुर कर दी थी। आयुर्वेद विभाग में करीब 800 डॉक्टर हैं, जिनमें से 300 के करीब अपनी पोस्टिंग की जगह पर कार्य न कर डेपुटेशन पर कार्य कर रहे हैं। डेपुटेशन में कार्य कर रहे अनुमानित 300 डॉक्टरों की असली पोस्टिंग ट्राइबल एरिया लाहौल-स्फीति, चंबा, किन्नौर सहित अन्य प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में है, लेकिन वह शिमला सहित अन्य शहरों क्षेत्रों में डेपुटेशन पर कार्य कर रहे हैं। प्रमोशन लेकर जो अधिकारी ज्वॉइन नहीं कर रहे थे, उन्हें ज्वॉइन करने के आदेश दिए। जिन्होंने ज्वॉइन करने से इंकार किया, ऐसे अफसरों को डिमोट भी किया। ओंकार शर्मा ने सभी डेपुटेशन को कैंसल कर डॉक्टरों को अपनी पोस्टिंग स्थल पर कार्य करने को भेजने का अभियान शुरु किया। क्या ओंकार शर्मा के तबादले की असली वजह आयुर्वेद विभाग में शुरु की गई मुहिम तो नहीं है। सचिवालय में चल रही चर्चा सही है या नहीं, लेकिन उनके तबादले की असली वजह यही मानी जा रही है। ओंकार शर्मा द्वारा डेपुटेशन रद्द करने और डिमोट करने की मुहिम का रिकॉर्ड तो विभाग में होगा ही।
यह बात तो सिर्फ तत्काल में छिने गए आयुर्वेद विभाग की है। ओंकार शर्मा ने ऐसा ही काम अन्य विभागों में शुरु किया होगा, जिससे उनका तबादला किया गया होगा, ऐसा माना जा सकता है। अगर ऐसा है तो फिर ओंकार शर्मा के द्वारा नियमों के तहत किया जाने वाला काम सरकार को पसंद क्यों नहीं आ रहा है। क्या सरकार नहीं चाहती कि उनके सरकारी सिस्टम में नियमों के तहत काम हो, जुगाड़ और सिफारिश सिस्टम व्यवस्था को दूषित न करे।
इसके पहले भी ओंकार शर्मा का एक और तबादल चर्चा का विषय रहा है। उस तबादले में भी यह बात सामने आई थी कि ओंकार शर्मा ने भाजपा के एक विधायक के कहने पर उसके भाई को मनमानी पोस्टिंग देने से मना कर दिया था। विधायक के भाई को नियमों को ताक पर रखकर पोस्टिंग करने की सिफारिश भाजपा के विधायक करते रहे, लेकिन शर्मा ने ऐसा नहीं किया। भाजपा के विधायकों ने यह शिकायत मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से की थी। जिसके बाद ओंकार शर्मा का तबादला कर दिया गया था।
आईएएस अधिकारी ओंकार शर्मा के छवि यह है कि वह दबंग अफसर के रुप में जाने जाते हैं। जो काम नियमों के तहत होने का होता है, उसे करते हैं, जो नहीं हो सकता, उसके लिए कितनी बढ़ी सिफारिश हो नहीं करते। वह आईएएस अफसर के तौर पर जिले से लेकर शिमला के सचिवालय तक प्रिंसिपल सेकेट्री के पद पर कार्य अपने अंदाज और सिद्धांतों के आधार पर ही करते हैं। उन्होंने पूर्व में तात्कालीन कांग्रेस और भाजपा सरकार के समय भी काम किया है लेकिन इस तरह तबादलों का दंश नहीं झेला है। वर्तमान सरकार को ऐसा लगता है कि ओंकार शर्मा बेहतर काम करने के काबिल नहीं है तो वह काम दिया जा सकता है जिसे करने में सरकार उन्हें सक्षम मानती हो। लेकिन इस तरह विभाग देकर एक दिन या एक महीने में छीनना सीनियर आईएएस अफसर की भावनाओं के साथ इमेज को भी ठेस पहुंचाता है। ओंकार शर्मा हंसमुख स्वभाव के अफसर हैं, जिससे इन लगातार हो रहे तबादलों का दर्द वह अपने चेहरे पर आने नहीं देते, लेकिन वह भी एक इंसान हैं, उनकी भी भावनाएं और संवेदनाएं हैं, जो कभी न कभी एकांत में उनको परेशान करती होंगी। इस तरह सीनियर आईएएस अधिकारी के लगातार हो रहे तबादलों को किसी भी तरह से ठीक नहीं कहा जा सकता। वर्तमान में ओंकार शर्मा के पास जनजातीय विकास और तकनीक शिक्षा की जिम्मेदारी है। इससे पहले राजस्व व कृषि विभाग की जिम्मेदारी के समय ओंकार शर्मा ने बेहतर कार्य किया है। उम्मीद है कि ओंकार शर्मा को आगे तबादला न हो।
मुख्यमंत्री की ओर से 30,000 से अधिक परिवारों को 377 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि वितरित करने की प्रक्रिया शुरू
AS CM ANNOUNCES TO INCREASE SUGARCANE PRICE AT HRS 416 PER QUINTAL, PUNJAB CONTINUES TO LEAD THE COUNTRY BY GIVING HIGEST SUGARCANE PRICE
चुनाव टालने के बहाने बंद करे प्रदेश सरकार: रणधीर शर्मा
भाजपा हर तरह से संविधान को कमजोर कर रही है: वड़िंग
शिमला रोपवे प्रोजेक्ट में करोड़ों का घोटाला छिपाने में जुटी कांग्रेस सरकार — भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संदीपनी भारद्वाज
यौन उत्पीड़ने के आरोपों से घिरे भाजपा विधायक के खिलाफ कांग्रेस विधायकों ने दिया धरना
गुरु साहिब की हुजूरी में पवित्र ‘पालकी सेवा’ निभाना मेरे लिए परम सौभाग्य की बात
ब्रह्मसरोवर पर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की धूम!
भारत की तरक्की का सूत्रधार: संविधान, जिसने हमें दी प्रशासनिक व कानूनी शक्ति : ऊर्जा मंत्री अनिल विज