सभी 6 सीटें जीतेंगे, सरकार पूरे पांच साल चलेगी
संदीप उपाध्याय
शिमला. सेनापति हो तो सुक्खू जैसा, यह बात मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने आत्मविश्वास के दम पर साबित कर रहे हैं। सुक्खू को न तो कुर्सी का जाने का डर है और न ही हारने का। वह हर हाल में जिताऊ उम्मीदवार को मैदान में उतारकर जीत हासिल करना चाहते हैं। प्रदेश में आए सियासी संकट के बीच तमाम राजनैतिक विश्लेषक दावा कर रहे थे कि अब सरकार के पास विधायकों का संकट है, जिससे अब लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी किसी विधायक को चुनावी मैदान में नहीं उतारेगी। लेकिन सुक्खू सभी अनुमानों को खारिज करते हुए कांग्रेस के दो विधायकों को लोकसभा की टिकट देकर मैदान में उतारने के लिए तैयार है। शिमला संसदीय क्षेत्र से कसौली के विधायक विनोद सुल्तानपुरी और मंडी संसदीय क्षेत्र से शिमला ग्रामीण से विधायक और सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह को मैदान में उतारने का निर्णय हो चुका है, अब सिर्फ औपचारिक रुप से टिकट की घोषणा होना बाकी है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू को पूरा भरोसा है कि 6 विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनावों में कांग्रेस सभी सीटों पर जीत दर्ज करेगी और पहले के जैसे पूर्ण बहुमत के साथ सरकार पांच साल चलेगी। दो विधायकों को लोकसभा चुनावों में टिकट देने का निर्णय बताता है कि सुक्खू को जीत पर पूरा भरोसा है। वह एक सेनापति की तरह आत्मविश्वास के साथ निर्णय ले रहे हैं, जिससे चुनावों मैदान में उतरे कांग्रेस प्रत्याशी और गांव स्तर पर कार्य कर रहे कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश और विश्वास पैदा हुआ है। जब उनका लीडर आत्मविश्वास से भरा हुआ है तो टीम के सदस्य भी आत्मविश्वास के साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे और जीत दर्ज करेंगे, ऐसा संदेश मुख्यमंत्री अपने निर्णय से दे रहे हैं।
प्रदेश में राज्यसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के 6 विधायकों ने बगावत कर भाजपा उम्मीदवार को वोट दिया था। इसके बाद विधानसभा में बजट पास में सरकार के साथ न होने के कारण विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। कांग्रेस के 6 बागी विधायक भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस विधायकों के बगावत करने पर विपक्ष दल के नेता सरकार पर निशाना साधते रहे कि सरकार अल्पमत में है और सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए। वर्तमान में सदन में विधायकों की संख्या 62 है, जिसमें कांग्रेस के पास 34 विधायक हैं और सरकार बहुमत में है। भाजपा के पास 25 विधायक हैं और तीन निर्दलीय विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं, लेकिन अभी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया। हिमाचल प्रदेश विधानसभा की 68 सीटों में से बहुमत के लिए 35 विधायक का होना जरुरी है। सभी का यह अनुमान था कि कांग्रेस लोकसभा के चुनावों में किसी भी विधायक को टिकट नहीं देगी। प्रदेश में हो रहे उपचुनावों में कांग्रेस का 1 प्रत्याशी भी जीत कर आ गया तो कांग्रेस के पास बहुमत होगा। लेकिन सुक्खू ने विश्वास रखते हुए दो और विधायकों को लोकसभा चुनावों मे उतारकर साहस का परिचय दिया है। कांग्रेस के विपरीत भाजपा ने अपने चारों प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, लेकिन लोकसभा के चुनावों में किसी भी विधायक को टिकट नहीं दिया है। भाजपा का यही समीकरण है कि अभी विधायकों की जरुरत पड़ेगी, इस कारण भाजपा ने विधायकों को टिकट न देकर दो वर्तमान सांसद और दो नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा है।