संदीप उपाध्याय
शिमला. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ब्यास और उसकी सहायक नदियों के बेसिन में लगे स्टोन क्रेशन को बंद करने का साहसिक फैसला लिया है। सुक्खू का यह फैसला खनन माफिया पर शिकंजा कसने के तौर पर देखा जा रहा है। प्रदेश में आई आपदा के लिए कई क्षेत्रों में नदियों के किनारे हुए अवैध खनन को माना जा रहा है। नदियों को बहाव बदला, जिससे नदियों में आई बाढ़ के कारण अधिक नुकसान हुआ है। व्यास नदी में अवैध खनन का मुद्दा सबसे पहले लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने आपदा से नुकसान का जायजा लेते समय कुल्लू में उठाया था। उन्होंने साफ कहा था कि अवैध खनन के कारण अधिक नुकसान हुआ है। विक्रमादित्य सिंह के बयान को उद्योग एवं खनन मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बचकाना करार दिया था। अब मुख्यमंत्री ने विक्रमादित्य सिंह के बयान पर मुहर लगाते हुए व्यास नदी और उसकी सहायक नदियों के बेसिन पर स्टोन क्रेशर को बंद करने का निर्णय ले लिया है। अब इस मामले में उद्योग मंत्री क्या कहेंगे। क्या अब मुख्यमंत्री का निर्णय सही नहीं है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ब्यास नदी बेसिन और उसकी सहायक नदियों में स्टोन क्रशर के प्रयोग को तुरंत प्रभाव से बंद करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि बरसात के दौरान मौजूदा परिस्थितियों और कांगड़ा जिले में चक्की नदी सहित कुल्लू, मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर जिलों में ब्यास और इसकी सहायक नदियों में पारिस्थितिकी के खतरनाक परिवर्तन को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। इस निर्णय के अनुसार अगले आदेश तक बारहमासी और गैर-बारहमासी दोनों नालों के सभी स्टोन क्रशर के संचालन को बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत राज्य की नाजुक पारिस्थितिकी और पर्यावरण को संरक्षित करने, बस्तियों और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है। हालांकि, वैध खनन के लिए जारी को रद्द नहीं किया गया है।मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा कैप्टिव और अस्थायी स्टोन क्रशर इस आदेश के दायरे में नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा जलवायु परिवर्तन विभाग को इस प्रकार की विनाशकारी स्थिति उत्पन्न करने वाले कारकों की पहचान करने के लिए आई.आई.टी., एन.आई.टी., अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों से तुरंत उच्च स्तरीय विशेषज्ञ परामर्श लेने के निर्देश दिए गए हैं। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विभाग अवैज्ञानिक और अवैध खनन गतिविधियों के संचयी प्रभाव के मूल्यांकन के लिए एक बहु क्षेत्रीय विशेषज्ञ समिति का गठन करके एक व्यापक वैज्ञानिक अध्ययन भी करेगा। इस अध्ययन के निष्कर्ष के आधार पर दूरी से संबंधित परिसीमाएं फिर से परिभाषित की जाएंगी ताकि नदियों के समीप पर्यावरण को संरक्षित करने और राज्य में अन्य ऐसी किसी भी मानवजनित आपदा से बचने के लिए ऐसे कार्यों का विनियमन और प्रबंधन सुनिश्चित हो सके।