नई दिल्ली . केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2022 की शुरूआत से पूरे देश में
नौकरी की चाहत रखने वाले उम्मीदवारों के लिए एक सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी) का आयोजन किया
जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार में नौकरी के लिए भर्ती में शामिल होने वाले उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग
और शॉर्टलिस्ट के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप के साथ शुरू की जाने वाली इस अनूठी
पहल का प्रारंभ इस वर्ष के अंत में ही किया जाना था जो कि अपने प्रकार की पहला परीक्षा होगी, लेकिन
कोविड महामारी के कारण इसमें विलंब होने की संभावना है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की ई-बुक सिविल लिस्ट-2021 जारी करने के बाद, डॉ. जितेंद्र सिंह
ने कहा कि सामान्य प्रवेश परीक्षा, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा नौकरी की चाहत रखने वाले
युवा उम्मीदवारों के लिए 'ईज ऑफ रिक्रूटमेंट' लाने की दिशा में किया गया एक अग्रणी सुधार है और यह
युवाओं, विशेष रूप से दूर-दराज और दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए एक बहुत बड़ा वरदान साबित
होगा। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक सुधार, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की युवाओं के प्रति गहरी और
संवेदनशील चिंताओं और पूरे देश के युवाओं को समान अवसर प्रदान करने वाले उनके दृष्टिकोण का परिचायक
भी है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी प्राप्त होने के बाद सामान्य पात्रता परीक्षा का आयोजन
करने के लिए नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी (एनआरए) का गठन किया गया है। एनआरए द्वारा सरकारी क्षेत्र में
नौकरियों के लिए उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग/ शॉर्टलिस्ट करने का काम सीईटी द्वारा किया जाएगा, जिनके लिए
वर्तमान समय में कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) और बैंकिंग कार्मिक चयन
संस्थान (आईबीपीएस) द्वारा भर्ती की जाती है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एनआरए एक मल्टी-एजेंसी निकाय होगा जो ग्रुप बी और सी (गैर-तकनीकी) पदों के
लिए उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग और शॉर्टलिस्ट के लिए कॉमन टेस्ट का आयोजन करेगा। उन्होंने कहा कि इस
सुधार की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि देश के प्रत्येक जिले में कम से एक परीक्षा केंद्र होगा, जिससे दूर-
दराज इलाकों में रहने वाले उम्मीदवारों तक पहुंच प्राप्त करने को काफी बढ़ावा मिलेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस ऐतिहासिक सुधार से सभी उम्मीदवारों को समान अवसर प्राप्त होंगे, चाहे
उनकी पृष्ठभूमि या सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। इससे महिलाओं और दिव्यांग उम्मीदवारों और उन
लोगों को भी बहुत बड़ा लाभ प्राप्त होगा जो कई केंद्रों पर जाकर कई परीक्षा देने के लिए अपने आपको आर्थिक रूप सक्षम नहीं पाते हैं।