शिमला. प्रदेश सरकार ने जीएसटी संग्रहण के आंकड़े जारी करते हुए अपनी उपलब्धि के तौर पर जारी किया कि जीएसटी संग्रहण में गत वर्ष की तुलना में 7 फीसदी की बढ़ौतरी हुई है। टैक्स की बसूल ज्यादा हुई है तो तय है कि सरकार का खजाना भर रहा है। लेकिन सोचने की बात यह भी है कि यह टैक्स आम जनता से ही बसूला जा रहा है। जनता की जेब खाली हो रही है तब जाकर सरकार का खजाना भर रहा है। कोरोना संकट काल में नौकरी गवां चुके लोगों और बिजनेस बंद होने के कारण हजारों व्यापारियों पर भी आर्थिक संकट आ गया है। इस सबसे के बाद भी सरकार जनता को राहत देने के बजाय टैक्स से वसूली कर रही है। सरकार का खजाना इसलिए भी बढ़ रहा है कि हर तरफ मंहगाई की मार है। पेट्रोल, डीजल, गैस के साथ खाने के तेल, राशन तक बहुत मंहगा हो गया है। जब जनता की जरुरत का सामान मंहगे दामों पर बिकेगा तो तय है कि टैक्स की रकम भी अधिक वसूल होगी और टैक्स का संग्रहण भी बढ़ेगा। जीएसटी का संग्रहण बढ़ना कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है लेकिन सरकार जनता के जेब का खाली करने को ही अपनी उपलब्धि गिना रही है।
सरकार की ओर से जारी सूचना के अनुसार हिमाचल प्रदेश में पिछले वर्ष जून माह की तुलना में मासिक जीएसटी संग्रहण इस वर्ष जून माह में 7 प्रतिशत बढ़ा है।राज्य आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में कोविड महामारी के कारण जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में कई छूट प्रदान करने के बावजूद जून 2021 में जीएसटी संग्रहण 246 करोड़ रुपये रहा, जबकि जून 2020 में यह 230 करोड़ रुपये था। उन्होंने कहा कि यह आशा की जा रही है कि व्यावसायिक गतिविधियों में वृद्धि के कारण आने वाले महीनों में जीएसटी संग्रहण में और सुधार होगा। विभाग विभिन्न प्रवर्तन गतिविधियों के माध्यम से करदाताओं की कड़ी निगरानी कर रहा है।