सब हेड – गत दिवस पूर्व मंत्री जीएस बाली ने मुख्यमंत्री पद पर कांगड़ा जिला का हक बताकर लड़ाई लड़ने का किया था ऐलान
शिमला. शिमला ग्रामीण के कांग्रेसी विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि कुछ लोग क्षेत्र विशेष से मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री किसी क्षेत्र का नहीं, हिमाचल का होगा। जो लोग क्षेत्र विशेष से मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं, वह प्रदेश और पार्टी को बांटने का काम कर रहे हैं। बांटने के इस जहर को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह बात विक्रमादित्य सिंह ने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए कही। आपको याद होगा कि दो सप्ताह पूर्व कांगड़ा के दिग्गज नेता जीएस बाली ने कहा था कि मुख्यमंत्री पद पर कांगड़ा का हक है, जिसके लिए लड़ाई लड़ी जाएगी। विक्रमादित्य का जवाब बाली के इसी बयान को लेकर देखा जा रहा है। हालांकि विक्रमादित्य ने किसी का नाम नहीं लिया। विक्रमादित्य ने कहा कि वीरभद्र सिंह का हमेशा मानना था कि पूरा प्रदेश एक है। उन्होंने कभी क्षेत्रवाद को बढ़ावा नहीं दिया है। मुख्यमंत्री चाहे चंबा से बने या हमीरपुर से, इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन क्षेत्रवाद के नाम पर बांटने के जहर को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रदेश में कांग्रेस का नेता कौन होगा के सवाल पर विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि अभी सभी को एकजुट होकर राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में काम करना चाहिए। उपचुनाव के बारे में विक्रमादित्य ने कहा कि इस बारे में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है, इस बारे में पार्टी हाईकमान जो दिशा निर्देश देगा, उसके अनुसार काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उपचुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इन्हें सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है, जिसके लिए सभी को एकजुट होकर पार्टी प्रत्याशियों को जिताने के लिए कार्य करना चाहिए। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वीरभद्र सिंह की राह पर चलना मुश्किल हैं लेकिन मैं प्रयास करुंगा । विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वह हमेशा से ही और कांग्रेस पार्टी की ओर से कर्मचारियों की मांग उठाते विधानसभा में उठाते रहे हैं, लेकिन सरकार ने मात्र आश्वासन ही दिए हैं। पूर्व सरकार के समय तात्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कर्मचारियों के हित में ऐतिहासिक फैसले लिए थे। लेकिन यह सरकार निर्णय लेने में सक्षम नहीं हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सिर्फ आश्वासन देते हैं, निर्णय नहीं ले पाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की नाकामी के कारण ही प्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है।