शिमला. कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री जी. एस. बाली ने ऐलान कर दिया कि आने वाले चुनावों में कांग्रेस पार्टी को भारी जीत मिलेगी और मुख्यमंत्री पद पर कांगड़ा जिले का हक है, जिसके लिए वह जनता के साथ मिलकर लड़ाई लड़ेंगे। कांगड़ा जिले से मुख्यमंत्री का पद का विरोध जो नेता करेगा, उसका भी विरोध किया जाएगा। बाली ने कहा कि कांगड़ा प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है, जहां से ही सत्ता का रास्ता निकलता है। बाली ने कहा कि प्रदेश के बड़े जिले कांगड़ा का मुख्यमंत्री पद पर पूरा हक है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए बाली ने कांगड़ा जिले का दाबा ठोंक दिया है। बाली ने कहा कि अभी मैं अपने लिए मुख्यमंत्री पद नहीं मांग रहा हूं, बल्कि कांगड़ा जिले के लिए मांग रहा हूं। कांगड़ा जिले का कौन विधायक मुख्यमंत्री बनेगा, यह हाईकमान के दिशानिर्देश के अनुसार आम सहमति से निर्णय होगा।
बाली ने कहा है कि 50 साल बाद मुख्यमंत्री का चेहरा जिला कांगड़ा से होना चाहिए। बाली के इस बयान के बाद प्रदेश की सियासत गरमाएगी। मीडिया के सवाल में बाली ने कहा कि जिला कांगड़ा का मुख्यमंत्री की सीट पर पूरा अधिकार है। इसे कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता। प्रदेश की सत्ता की गाड़ी यहीं से निकलती है, तभी वह शिमला पहुंचती है। अब समय की भी यही पुकार है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद अब कांग्रेस का नेता कौन होगा, के सवाल पर बाली ने कहा कि पार्टी का नेता हाईकमान और जनता तय करती है। किसी के दाबा करने से नेता नहीं बना जा सकता। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं हिमाचल प्रदेश के छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद पहली बार मुख्यमंत्री पद पर किसी जिले के लिए दावा ठोका है। कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री जीएस बाली ने कहा है कि 50 साल बाद मुख्यमंत्री का चेहरा जिला कांगड़ा से होना चाहिए। जीएस बाली के इस बयान के बाद सूबे की सियासत गरमा गई है। गुरुवार को मीडिया के सवाल में बाली ने कहा कि जिला कांगड़ा का मुख्यमंत्री की सीट पर पूरा अधिकार है। इसे कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता। प्रदेश में सत्ता की गाड़ी यहीं से निकलती है, तभी वह शिमला पहुंचती है। अब समय की भी यही पुकार है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस का नेता कौन होगा, के सवाल पर बाली ने कहा कि जिसके लिए पार्टी हाईकमान, विधायक और लोग मानेंगे, वही नेता होगा। पार्टी में बढ़ती गुटबाजी के बारे में बाली ने कहा कि कोई गुटबाजी नहीं है, कहीं मतभेद हैं तो वह सब एक डिनर में खत्म हो जाएंगे।
कांगड़ा में बाली ही है मजबूत नेता
कांगड़ा जिले में कांग्रेस की सियासत को देखा जाए तो जीएस बाली ही सबसे मजबूत नेता नजर आते हैं। बाली नगरोटा बगवां से कई बार विधायक रहने के साथ पूर्व कांग्रेस सरकारों में मंत्री भी रहे हैं। बाली के अलावा ओबीसी नेता चंद्र कुमार का नाम आता है। चंद्र कुमार भी पूर्व में मंत्री रहे हैं और कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र से सांसद भी रहे हैं। अब देखना होगा कि कांगड़ा से मुख्यमंत्री पद के लिए शुरु हुई लड़ाई किस मुकाम तक पहुंचती है।
बाली ने चली सियासी चाल
पूर्व मंत्री जी.एस. बाली ने अपनी सियासी चाल चल दी है। उन्होंने खुद मुख्यमंत्री पद पर दाबेदारी न कर कांगड़ा जिले के आगे कर दिया है। अब यह तो तय है कि कांगड़ा जिले का जो भी कांग्रेसी नेता और विधानसभा का उम्मीदवार कांगड़ा जिले के मुख्यमंत्री पद का विरोध करेगा, तय है कि उसे जनता के विरोध का सामना करना पड़ेगा। जिस कारण कोई नेता इसका विरोध नहीं करेगा। बाली ने चेताया भी है कि जो इसका विरोध करेगा, हम उसका विरोध करेंगे। इस तरह देखा जाए तो कांग्रेस की सियासत में बाली ने बड़ी चाल चल दी है।
कांग्रेस में ‘गृहयुद्ध’ की शुरुआत तो नहीं हिमाचल के छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के निधन के बाद तय माना जा रहा था कि प्रदेश नेतृत्व हासिल करने के लिए कांग्रेस के सीनियर नेताओं के बीच घमासान शुरु होगा। मुख्यमंत्री पद के लिए पहली आवाज जीएस बाली ने उठाई है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष से लेकर चुनाव के बाद पार्टी को जीत मिलने की दशा में मुख्यमंत्री पद के कई दाबेदार हैं। लेकिन कोई भी नेता खुलकर दाबेदारी नहीं कर रहा लेकिन परदे के पीछे सियासत हो रही है। जिससे लग
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